
दसवीं की गणित की परीक्षा के दौरान सामूहिक नकल का मामला...290 परीक्षार्थियों के रिज़ल्ट को रोक दिया गया
रायपुर (khabargali) सूरजपुर के रामानुजनगर परशुरामपुर के 3 केन्द्र में दसवीं की गणित की परीक्षा के दौरान सामूहिक नकल का मामला सामने आया है। इस केंद्र से परीक्षा देने वाले 290 परीक्षार्थियों के रिज़ल्ट को रोक दिया गया है। शिक्षा विभाग से खबरें हैं कि इन सभी परीक्षार्थियों को दूबारा परीक्षा देनी होगी। इधर रिज़ल्ट नहीं आने को लेकर स्थानीय स्तर पर चुप्पी साध ली गई है। वहीँ सामूहिक नकल कराने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई के नाम पर शिक्षा विभाग द्वारा सिर्फ उनकी वेतनवृद्धि रोकने की घोषणा को लोग नाकाफ़ी बता रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को बर्खास्त कर जेल भेजने की मांग खुद एक ने शिक्षक ने की है साथ ही मांग नहीं माने जाने पर भूख हड़ताल की बात कही है।
शिक्षक संस्कार श्रीवास्तव ने ख़बरगली को कहा कि सिस्टम में कुछ लोग नकल को बढ़ावा देते हैं। रक्षक भक्षक बन जाए तो देश समाज सिस्टम का बंटाधार होना तय है। शिक्षक वह सम्मानित पद है जिसे समाज में व्याप्त विसंगतियों और बुराइयों के खिलाफ अपने अध्यापन कार्य के अतिरिक्त आदर्श बनते हुए जन जागरण का कार्य दिया गया है। लेकिन वही अनुशासनहीनता भर्राशाही और अपराध को प्रोत्साहित करे तो यह अशुभ संकेत है जो समाज को बिगाड़ सकता है।
शिक्षाविद संस्कार श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री और मीडिया को सैकड़ों ट्वीट किए हैं। संबंधित शिक्षकों को तत्काल बर्खास्त कर जेल भेजने की मांग की है। उन्होंने सीएम शिक्षामंत्री से इस पर अफसोस जताते हुए कहा है कि जैसा हर सिस्टम में होता है उसी तरह शिक्षा क्षेत्र में भी अपवाद स्वरूप कुछ लोग शिक्षक बनकर शिक्षक जैसे पवित्र पावन पद को बदनाम कर रहे हैं। नकल के ठेकेदार बन कर समाज को गलत सीख दे रहे हैं। उन्होंने पूछा कि वर्ष 2022 - 23 की वार्षिक परीक्षा में बोर्ड परीक्षा के दौरान सामूहिक नकल कराने वाले इन शिक्षकों को समाज को कौन सा दंड देना चाहिए? जिन्होंने निजी स्वार्थ के चलते परीक्षार्थियों को गलत तरीका अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। क्या ऐसे लोग अपने स्कूली जीवन में खुद नकल कर शिक्षक के पद तक पहुंचे थे। यदि ऐसा है तो सभ्य समाज को ऐसे मानसिकता वाले शिक्षकों की जरूरत नहीं है। इनको नकल कराने वाला अपराधी माना जाना चाहिए। कल जो नकल के बीज बोए थे आज वे बदनामी और सैकड़ों छात्रों को दोबारा परीक्षा देने की पीड़ा के रूप में सामने आ रहा है। लिहाजा छात्र छात्राओं को भी नकल को प्रोत्साहन करने वाले ऐसे तथाकथित शिक्षकों से दूर रहने की जरूरत है। ऐसे शिक्षकों कैसे को कड़ा से कड़ा दंड दिया जाए यह शासन पुलिस बुद्धिजीवियों को तय करना चाहिए।
यदि शिक्षक अपने मूल दायित्व और जिम्मेदारी की गंभीरता को भूल कर खुद सामूहिक नकल के अपराध को प्रोत्साहित करते हैं तो यह देश के लिए दुर्भाग्य जनक आपत्तिजनक चिंतनीय विचारणीय चिंतन मनन का विषय बनना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर परीक्षा केंद्रों में सुनियोजित साजिश के अंतर्गत ज्ञान देने वाले शिक्षक नकल को प्रोत्साहन देते हैं। नकल जैसी अनुशासनहीनता अपराध को समर्थन देते हुए अपने विद्यालय का परीक्षा परिणाम उत्कृष्ट बनाने में कुछ शिक्षक पीछे नहीं हटते हैं।
गणित के पर्चे पर एक समान उत्तर
परशुरामपुर परीक्षा केंद्र को लेकर हमेशा से खबरें आती रही हैं कि, यहाँ सामूहिक नक़ल होती है।अविभाजित सरगुजा में ऐसे कई ईलाके हैं जहां नक़ल की वजह से इस कदर सुर्ख़ियों में रहते हैं कि वहाँ से परीक्षा देना बेहतर रिज़ल्ट की गारंटी सी मानी जाती है। परशुरामपुर परीक्षा केंद्र को लेकर यही खबरें आती रही हैं।शिक्षा विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया है कि इस बार गणित के पर्चे में उत्तर बिलकुल एक समान पाए गए।पहले प्रश्न से लेकर अंतिम प्रश्न में यही पैटर्न था। व्यापमं ने इस केंद्र से परीक्षा देने वाले 290 परीक्षार्थियों के रिज़ल्ट को रोक दिया है। अब शिक्षा विभाग के अनुसार गणित विषय की परीक्षा फिर से ली जाएगी और उसके बाद नतीजे घोषित किए जाएँगे।
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