
रायपुर (खबरगली) खुद की वास्तविक पहचान को भूल कर दूसरे की पहचान या उसके नेचर को पूरी तरह से आत्मसात करने की क्षमता ही व्यक्ति को सफल एक्टर बनाती है. और वह व्यक्ति दर्शकों के दिलों में हमेशा बना रहता है, ये कहना था प्रख्यात वरिष्ठ रंगकर्मी एवं नाट्य निर्देशक मिर्जा मसूद का, वे कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के इलेक्ट़ानिक मीडिया विभाग द्वारा स्टोरी टेलिंग थ्रू ऑडियो एंड विजुअल मीडिया पर आधारित 5 दिवसीय कार्यशाला के चौथे दिन छात्रों से रूबरू हुए. चौथे दिन के विषय कांसेप्टुलाइजेशन एंड स्टोरी टेलिंग आस्पेक्ट्स इन ड्रामा विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा अच्छे एक्टर की पहचान यही है कि वह अपनी संस्कृति, आदते, बोलचाल, रहन- सहन सब कुछ भूल कर उसके द्वारा निभाए गए कैरेक्टर को आत्मसात कर उसकी तरह ही व्यवहार करे. ये कुछ इस तरह है जैसे कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करे यानि परकाया प्रवेश, और एक अच्छा एक्टर वही करता है कि खुद को भूल कर कैरेक्टर में घुस जाता है यानि सब कुछ उसी की तरह करता है. इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र मोहंती, जनसंचार विभाग के एचओडी डॉ. शाहिद अली, अतिथि प्राध्यापक प्रोसेनजित डे, अभिषेक, राजकुमार दास, स्मिता शर्मा वर्षा शर्मा व विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राएं मौजूद रहे. कार्यशाला के पांचवे एवं अतिम दिन शुक्रवार को प्रख्यात छत्तीसगढ़ी कलाकार एवं अनुज शर्मा का व्याख्यान होगा .

दिखता वही है जो स्पेस के अगेंस्ट हो
उन्होंने बताया कि दिखता वही है जो स्पेस के अगेंस्ट या विरुद्ध हो जिस प्रकार से एक ब्लैक बोर्ड पर ब्लैक कलर से लिखा कोई शब्द या बनी कोई तस्वीर दिखाई नहीं पड़ती लेकिन उसी ब्लैक बोर्ड पर काले के विपरीत सफेद रंग से उकेरी गई आकृति या शब्द साफ दिखाई पड़ता है यही फामूर्ूला एक्टिंग में भी लागू होता है कि आप भूल जाएं कि आप अभी क्या हैं और ये याद रखें कि आप क्या रोल कर रहे हैं, अपने रोल के कैरेक्ट को विजुलाइज करें उसके नेचर को अपनाएं तभी एक्टिंग के साथ न्याय कर पाएंगे.
जरूरी नहीं सच्ची घटना पर आधारित हो कहानी
मिर्जा मसूद ने बताया कि ये कोई जरूरी नहीं कि हमेशा सच्ची घटना पर आधारित कहानी ही अच्छी होगी. काल्पनिकता के आधार पर विभ्रम यानि इल्यूजन क्रिएट कर यथार्थ को स्थापित कर भी अच्छी कहानियां प्रस्तुत की जा सकती हैं. उन्होंने बताया किसी व्यक्ति की आंतरिक जरूरतों को दूसरों से शेयर या साझा करने की प्रवृत्ति ही कहानी को जन्म देती है. साथ ही उन्होंने कहानी कहने की प्राचीन परंपरा के लुप्त होने की बात भी कही.
- Log in to post comments