राजीव और रंजीत का निर्विरोध चुना जाना तय, कल नामांकन

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रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ से राज्यसभा जाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन का नाम रविवार को घोषित किया है। रंजीत रंजन 10 नेताओं की सूची में एकमात्र महिला उम्मीदवार भी हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मौजूदा ताकत को देखते हुए दोनों नेताओं का निर्विरोध राज्यसभा के लिए चुना जाना तय है। नामांकन 31 मई को होगा। वह नामांकन का आखिरी दिन है, ऐसे में उसी दिन विजेताओं की घोषणा भी कर दिया जाना है। कल छत्तीसगढ़ विधानसभा में नामांकन प्रक्रिया की औपचारिकता पूरी करायी जायेगी। चूंकि भाजपा ने मैदान छोड़ दिया है इसलिए दोनों का निर्वाचन निर्विरोध हो जाना तय है। इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम,मंत्री,विधायक व संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।

पुराने रणनीतिकार हैं राजीव शुक्ला

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर के राजीव शुक्ला 63 साल के हैं। पत्रकारिता से कॅरियर की शुरुआत कर वे, राजनीति और क्रिकेट प्रशासन में सक्रिय रहे हैं। साल 2000 में उन्हें पहली बार महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजा गया था। 2003 में उनके राजनीतिक दल अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया। उसके बाद वे कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे। वे तीन बार महाराष्ट्र से ही राज्यसभा जा चुके हैं। वे इंडियन प्रीमियर लीग के अध्यक्ष रहे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। हॉकी इंडिया लीग की गवर्निंग बॉडी में शामिल हैं। वहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के ऑनरेरी सचिव भी हैं।

मुखर आवाज की धनी हैं रंजीत

मध्यप्रदेश के रीवां में जन्मी रंजीत रंजन लॉन टेनिस की खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने बिहार के बाहुबली सांसद पप्पू यादव से विवाह किया। शादी के एक साल के भीतर ही रंजीत पति के साथ राजनीति में सक्रिय हो गईं। बिहार के सुपौल से विधानसभा चुनाव से शुरुआत की। जीत नहीं मिली। 2004 में रंजीत रंजन, लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर सहरसा से पहली बार लोकसभा पहुंचीं। परिसीमन के बाद सहरसा सीट के स्थान पर सुपौल क्षेत्र बना। इस सीट से रंजीत ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जदयू उम्मीदवार से हार गईं। 2014 में उन्होंने मोदी लहर के बावजूद सुपौल सीट पर जीत दर्ज की। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अभी वे कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव हैं। जम्मू-कश्मीर में संगठन चुनाव की पीआरओ भी हैं।

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