नम्रता वर्मा की कलम से
ख़बरगली @ साहित्य डेस्क
मुझे याद है, वो दिन जब मैंने आपको पहली बार देखा, जब से मैंने आपको देखा फिर मैंने किसी और को नहीं देखा ।
ना ही मैं किसी और को देखना चाहती हूं। मैं आपके कदमों की आहट को अच्छे से जानती हूं ।
उस वक़्त मेरे दिल की धड़कने काफी तेज हो जाती थी ये मेरा वहम नहीं था ।
जब मे पलके उठाकर देखती थी आप हकीकत में मौजूद रहते थे मैं आपका इंतजार दिन में करती हूँ ।
ताकि हकीकत में मुलाकात हो जाये । रात में इंतजार करती हूँ ।
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