खबरगली

नई दिल्ली (khabargali) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेवाओं में कमी के लिए (For deficiency in Services) अधिवक्ताओं (Advocates) को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत (Under the Consumer Protection Act) जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता । न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मंगलवार को एक फैसले में कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उद्देश्य और विषय केवल उपभोक्ताओं को अनुचित प्रथाओं एवं अनैतिक व्यावसायिक प्रथाओं से सुरक्षा प्रदान करना है। विधायिका का इरादा कभी भी व्यवसाय या इसके पेशेवरों को क़ानून के तहत शामिल करने का नहीं था।<