
स्वच्छता रैंकिंग में रायपुर के सर्वश्रेठ प्रदर्शन के लिए नगर निगम की अभिनव पहल
सूखा और गीला कचरा पृथक करने अब बड़ा अभियान
इस अभियान के प्रभावी संचालन और जन सुविधा व शिकायत दर्ज करने के लिए नगर निगम ने जारी किया टोल फ़्री नंबर - 18002709992
रायपुर (khabargali) घर व व्यावसायिक परिसर से निकलने वाले गीले व सूखे कचरे के पृथक्करण के लिए रायपुर नगर निगम एक अभिनव पहल करने जा रहा है । दिल्ली सहित अन्य महानगरों की तर्ज़ पर अब सूखा कचरा केवल बुधवार और रविवार को ही कचरा वाहन में लिए जाएँगे , सप्ताह के शेष दिवसों में केवल गीले कचरे लिए जाएँगे। इस अभियान को कचरा पृथक्करण के लिए राष्ट्रीय रैंकिंग में रायपुर को बेहतर स्थान पर लाने एक बड़े और महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है ।
प्रारंभिक तौर पर हर जोन के एक वार्ड में यह अभियान संचालित होगा और मूल्यांकन के बाद इसे सभी वार्ड में लागू किया जाएगा । ज्ञात हो कि इस बार कचरों के पृथक्करण को नगर निगम इस बार बहुत गंभीरता से ले रहा है । सूखे व गीले कूड़े के समुचित पृथक्करण न होने से शहर की रैंकिंग न बिगड़े , इस दिशा में अब बड़ी पहल करते हुए मकान मालिकों को अब इससे सीधे तौर पर जोड़ा जा रहा है ।
दिल्ली व अन्य महानगर में ऐसे अभियान से न केवल नागरिको में जागरूकता बढ़ी है बल्कि शहरी स्वच्छता कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी भी बढ़ी है , जिससे स्वच्छता रैंकिंग में भी आशातीत सुधार हुआ है । अब यह अभियान रायपुर शहरी क्षेत्र में भी संचालित होगा । नगर निगम का कचरा वाहन अब सोमवार , मंगलवार, गुरुवार,शुक्रवार, शनिवार को ही गीला कचरा लेगा , सप्ताह के शेष दो दिन अर्थात् बुधवार और रविवार सिर्फ़ सूखे कचरे घरों व संस्थानों से लिए जाएँगे ।
इस अभियान के प्रभावी संचालन और जन सुविधा व शिकायत दर्ज करने के लिए टोल फ्री नं - 18002709992 भी जारी किया गया है, जिसपर आम नागरिक अपने क्षेत्र में कचरा संकलन में लगे वाहन से संबंधित जानकारी या कोई शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
नगर निगम ने नागरिकों से अपील की है कि इस अभियान से जुड़कर अपने शहर को स्वच्छता रैंकिंग में श्रेष्ठ शहर के रूप में चिन्हित करने में अपना सहयोग अवश्य दें।
गीला कचरा
गीला कचरा में शामिल हैं रसोई का सारा कचरा जैसे – सब्जियों के छिलके, इस्तेमाल की हुई चाय, फल, बचा हुआ भोजन आदि।
सूखे कचरा
सूखे कचरे के निपटान करने का अलग तरीका होता है, ये बायोडिग्रेडेबल नही होते हैं। इसी वजह से इन्हें एक अलग डस्टबिन (नीला डस्टबिन में) में डाला जाता है।
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