चांद पर फिर जाएगा इंसान

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नासा का मून मिशन लॉन्च, तीसरे प्रयास में चांद पर भेजा रॉकेट

नई दिल्‍ली (khabargali) करीब 50 साल बाद नासा ने चंद्रमा पर अपने मिशन को फिर से लॉन्च कर दिया है। बुधवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने चांद पर इंसानी मिशन की शुरुआत की। अपने तीसरे प्रयास में नासा ने आर्टेमिस-1 मिशन लॉन्च किया। इससे पहले चंद्रमा पर 50 साल पहले नासा ने अपोलो मिशन भेजा गया था। जानकारी के मुताबिक, 32 मंजिल के बराबर ऊंचाई वाले अंतरिक्ष लांच सिस्टम (एसएलएस) रॉकेट को फ्लोरिडा के फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वर्ष 2025 में हम चांद की गोद में होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि नासा की बड़ी योजना क्‍या है। नासा की इस योजना में कितना खर्च आएगा। कितने देश चांद पर जाने की योजना बना रहे है। इसके साथ यह जानेंगे कि नासा की इस मत्‍वाकाक्षी योजना पर कितना खर्च आएगा।

इन मुल्‍कों की चांद में है दिलचस्‍पी

अमेरिका ही नहीं अन्‍य देशों की दिलचस्‍पी भी चांद पर है। अमेरिका के साथ भारत, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया भी चांद मिशन लांच करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके अलावा कई और देश और कंपनियां इस वर्ष धरती की कक्षा में अपने सैटेलाइट छोड़ने वाली हैं। गौरतलब है कि बीते एक वर्ष में कोई अंतरिक्ष यान चांद पर नहीं उतरा और न ही किसी मुल्‍क ने कोई मिशन चांद पर भेजा है। हालांकि, अब हमें चांद से जुड़ी खबरें मिलती रहेंगी। कई मुल्‍कों ने चांद के लिए विशेष योजना बनाई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस वर्ष आर्टेमिस प्रोगाम शुरू कर चुका है। इसके तहत उसने पहली महिला अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजा है। इसके साथ यह उम्‍मीद जगी है कि भविष्‍य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जरूरी उपकरण व सामान चांद पर भेजा जा सकेगा।

क्‍या है चांद पर योजना

नासा की यह योजना है कि चांद पर एक ऐसा आर्टेमिस बेस कैप तैयार करे, जहां अंतरिक्ष यात्री ठहर सकें। इसके साथ नासा अंतरिक्ष पर एक गेटवे भी तैयार करेगा, जहां रुक कर अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह तक बढ़ने की अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे। इसके तहत एक अत्‍याधुनिक मोबाइल घर और एक रोवर होगा। इसके जरिए चांद पर अभूतपूर्व रूप से खोजी अभियान को अंजाम दिया जा सकेगा। नासा के इस महत्‍वाकांक्षी परियोजना का मकसद वर्ष 2025 तक एक बार फ‍िर इंसान को चांद की सतह पर उतारना है। हालांक‍ि, नासा का यह मिशन यहीं समाप्‍त नहीं होता, बल्कि उसके मकसद का यह पहला कदम है। इस बार स्‍पेसक्राफ्ट आरियन को अंतरिक्ष में जाने के लिए नासा ने दुनिया के सबसे ताकतवर राकेट एसएलएस बनाया है। अमेरिका 53 वर्ष बाद एक बार फ‍िर आर्टेमिस मिशन के जरिए इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है। 2024 के आसपास आर्टेसि-2 को लांच करने की योजना है। इसमें कुछ अंतरिक्ष यात्री भी जाएंगे। हालांकि, अंतरिक्ष यात्री चांद पर कदम नहीं रखेंगे। वह सिर्फ चांद के आर्बिट में घूमकर वापस आ जाएंगे। इस मिशन की अवधि ज्‍यादा होगी। नासा का फाइनल मिशन आर्टेमिस-3 को रवाना किया जाएगा। इसमें जाने वाले अंतरिक्ष यात्री चांद पर उतरेंगे। यह मिशन 2025 तक लांच किया जा सकता है। चांद के इस मिशन में पहली बार महिलाएं हिस्‍सा बनेंगी। अंतरिक्ष यात्री चांद के साउथ पोल में मौजूद पानी और बर्फ की खोज करेंगे। इस मिशन के बारे में नासा के एक प्रशासक बिल नेल्‍सन ने कहा था कि हम सब लोग जो चांद को निहारते हैं, उस दिन का सपना देखते हैं कि इंसान फ‍िर से चांद पर कदम रखे। उन्‍होंने कहा था कि अब वक्‍त आ गया है कि हम दोबारा वहां जा रहे हैं।

नासा की 7,434 अरब रुपये की चांद योजना

नासा की यह महत्‍वाकांक्षी योजना है। वर्ष 2012 से 2025 तक इस प्रोजेक्‍ट में 93 बिलियन डालर यानी करीब 7434 अरब रुपये खर्च का अनुमान है। हर फ्लाइट 4.1 बिलियन डालर यानी 372 अरब रुपये की पड़ेगी। इस योजना पर अब तक 37 बिलियन डालर यानी 2,949 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

10 छोटे उपग्रह भी होंगे स्थापित-

अगर आर्टेमिस-1 सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच जाता है तो ये परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। मिशन के दौरान ओरियन 10 छोटे उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में स्थापित करेगा जिन्हें क्यूबसैट के नाम से जाना जाता है। इनमें से ही एक में खमीर होगा जो ये देखने के लिए होगा कि चांद पर माइक्रोग्रेविटी और विकिरण वातावरण सूक्ष्मजीवों के विकास को किस तरह से प्रभावित करते हैं। इस दौरान आइसक्यूब चांद की परिक्रमा करेगा और चांद पर बर्फ के भंडार की खोज करेगा और जिसका उपयोग भविष्य में चांद पर जाने वाले यात्री कर पाएंगे।

करीब 23 दिन अंतरिक्ष में बिताएगा-

अंतरिक्ष यान को धीरे करने के लिए ओरियन अपने ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स को फायर करेगा और चांद के गुरुत्वाकर्षण को इसे कक्षा में पकड़ने में मदद करेगा। इस चरण के दौरान ओरियन चांद से करीब 70 हजार किलोमीटर की यात्रा करेगा और पृथ्वी से अब तक की सबसे ज्यादा दूरी पर पहुंचेगा। इस दौरान अगर इसमें अंतरिक्ष यात्री होते तो उन्हें दूर से पृथ्वी और चांद का भव्य दृश्य दिखाई देता। ओरियन चांद की कक्षा में छह से 23 दिन बिताकर चांद की कक्षा से बाहर निकलने के लिए एक बार फिर अपने थ्रस्टर्स को फायर करेगा और खुद को पृथ्वी प्रक्षेपवक्र पर वापस लाएगा।