रायपुर (खबरगली) छत्तीसगढ़ की जैव विविधता एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह बनी है प्रवासी पक्षियों की नई पसंद गिधवा-परसदा बर्ड हॉटस्पॉट, जहां पहली बार दुर्लभ मलार्ड पक्षी को देखा गया है। यह पक्षी आमतौर पर यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के ठंडे इलाकों में पाया जाता है, लेकिन अब यह छत्तीसगढ़ की अनुकूल जलवायु की ओर आकर्षित हो रहा है।
वनमंत्री केदार कश्यप ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ की बढ़ती जैव विविधता और पर्यावरणीय समृद्धि का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में प्रवासी पक्षियों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के दुर्लभ पक्षी भी यहां के जलाशयों और दलदली क्षेत्रों में अपना ठिकाना बना रहे हैं।
संरक्षण प्रयासों का परिणाम गिधवा-परसदा झील क्षेत्र को लंबे समय से वन विभाग द्वारा विशेष संरक्षण क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया है। वन विभाग के निरंतर निगरानी, सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन के प्रयासों के चलते यहां पक्षियों के लिए सुरक्षित और उपयुक्त आवास तैयार हुआ है। स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की भागीदारी ने भी इस पहल को गति दी है। वन विभाग के अनुसार, हाल के वर्षों में यहां रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, ग्रे-लैग गूज, पेंटेड स्टॉर्क, कॉमन टील और ओपनबिल स्टॉर्क जैसे सैकड़ों प्रवासी पक्षियों का आगमन दर्ज किया गया है।
मलार्ड की उपस्थिति ने इस सूची में नया अध्याय जोड़ दिया है। मलार्ड जैसे दुर्लभ प्रवासी पक्षी की उपस्थिति से छत्तीसगढ़ में इको-टूरिज्म की संभावनाएँ और बढ़ेंगी। गिधवा-परसदा पहले से ही पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए आकर्षण का केंद्र है, और अब यह स्थल अंतरराष्ट्रीय पक्षी पर्यवेक्षकों की निगाह में भी आ सकता है।
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