विचाराधीन बंदी प्रशांत साहू के संदिग्ध मौत का संज्ञान ले राज्य मानवाधिकार आयोग तथा दोषी पुलिस एवं जेल अधिकारी व कर्मचारियों पर हो कार्यवाही - मनोज सिंह ठाकुर

State Human Rights Commission should take cognizance of the suspicious death of undertrial prisoner Prashant Sahu and action should be taken against the guilty police and jail officers and employees, Manoj Singh Thakur, former member advocate of Chhattisgarh Labor Welfare Board, Raipur, Chhattisgarh, Khabargali

रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल के पूर्व सदस्य अधिवक्ता मनोज सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग में लिखित आवेदन देते हुए कहा है कि प्राप्त जानकारी के अनुसार, कचरू साहू नामक व्यक्ति के हत्या के संदेह में रेंगाखार थाना क्षेत्र के लोहारीडीह गाँव में उप-सरपंच भाजपा नेता रघुनाथ साहू के घर में सामूहिक आगजनी की गई थी जिसमें उसकी मृत्यु हो गई थी। उक्त सामूहिक आगजनी हत्याकांड मामले में अन्य आरोपियों सहित प्रशांत साहू को सह-अभियुक्त के रूप में गिरफ्तार किया गया था तथा वह कवर्धा जेल में विचाराधीन बंदी था, जहाँ पर उसकी संदिग्ध मौत हो गई। मौत के उपरांत जब उसके पार्थिव शरीर को घर लाया गया, तो पूरे शरीर पर चोट के निशान थे, जिसके विडियो फुटेज व फोटो, इंटरनेट व समाचार पत्रों में देखने को सहज ही प्राप्त हो जावेगा।

मृतक प्रशांत साहू की माता तथा परिजनों ने पुलिस के द्वारा प्रशांत साहू की बर्बरतापूर्वक पिटाई किये जाने तथा जिससे प्रशांत साहू को गंभीर चोट पहुँचने की बात कही है, साथ ही प्रशांत साहू की माता एवं उसके परिजनों को भी अनावश्यक गंभीर रूप से मारपीट कर चोट पहुँचाये जाने व प्रताडित किये जाने की बात कही है। ऐसी स्थिति में, यह एक गंभीर विषय है, पुलिस का कर्तव्य किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार कर, न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का होता है तथा किसी श्री अपराध की विवेचना उपरांत् न्यायालय में विचारण होता है, तत्पश्चात किती अभियुक्त को अपराधी या निर्दोष प्रमाणित होने पर, माना जाता है। उसके उपरांत सजा का प्रावधान होता है। पुलिस के पास केवल किसी अपराधी को रोकने के लिए समुचित बल प्रयोग करने का अधिकार होता है, न कि लाठी-डंडे से मारपीट करने का और ना ही उसे चोट पहुंचाने या घायल करने का।

महोदय, मृतक प्रशांत साहू के शरीर पर दृष्टिगोचर चोट काफी गंभीर प्रकृति के प्रतीत होते हैं तथा उसकी माता एवं परिजनों के द्वारा पुलिस पर लगाये गये आरोप श्री काफी गंभीर प्रकृति के हैं तथा जेल में भी प्रशांत साहू के साथ क्या परिस्थिति निर्मित हुई तथा कैसे मृत्यु हुई? इसकी भी जाँच आवश्यक है। प्रथम दृष्ट्‌या यह प्रकरण मानव अधिकार हनन का प्रकरण दर्शित होता है। ऐसी स्थिति में माननीय महोदय से निवेदन है कि उक्त प्रकरण का संज्ञान लेकर, निष्पक्ष जाँच करवायें तथा दोषी पुलिस एवं जेल कर्मचारियों पर विधिवत् कार्यवाही करने की कृपा करें।

State Human Rights Commission should take cognizance of the suspicious death of undertrial prisoner Prashant Sahu and action should be taken against the guilty police and jail officers and employees, Manoj Singh Thakur, former member advocate of Chhattisgarh Labor Welfare Board, Raipur, Chhattisgarh, KhabargaliState Human Rights Commission should take cognizance of the suspicious death of undertrial prisoner Prashant Sahu and action should be taken against the guilty police and jail officers and employees, Manoj Singh Thakur, former member advocate of Chhattisgarh Labor Welfare Board, Raipur, Chhattisgarh, Khabargali

 

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