"अगीरा की वर्णमाला का विमोचन"
रायपुर (khabargali) बच्चों का साहित्य लिखना कोई बच्चों का खेल नहीं है। बच्चों पर लिखने के लिए उनकी भावनाओं को समझने, बाल मन को जागृत करना जरूरी है। आज बाल साहित्य की आवश्यकता ज्यादा महसूस हो रही है।उक्ताशय के विचार बच्चों को रोचक अंदाज में वर्णमाला सिखाने के लिए लिखी गई पुस्तक "अगीरा की वर्णमाला" के विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि श्री गिरीश पंकज ने व्यक्त किया । यह किताब जैन केयर की संचालिका व लेखिका श्रीमती शीलू लुनिया द्वारा लिखी गई है।
समारोह में श्री गिरीश पंकज ने कहा कि आज बाल साहित्य लिखने वाले कम हैं और इस पर कार्य करने की ज्यादा आवश्यकता है। समारोह के अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. चितरंजन कर ने कहा कि पहले बच्चों को वर्णमाला एक पारंपरिक तरीके से सिखाई जाती थी और सालों साल उसी तरीके को अपनाया गया। किन्तु आज के बच्चे किसी भी चीज को चित्रण व रोचक तरीके से सिखाने पर आसानी से सीख जाते हैं और पुस्तक "अगीरा की वर्णमाला" में बच्चों को बेहतरीन चित्रों व मनोरंजक कविता के माध्यम से शीलू लुनिया ने वर्णमाला सिखाने का अनूठा प्रयास किया है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा कि यह केवल एक वर्णमाला नहीं है अपितु बच्चों की अक्षरों के प्रति समझ विकसित करने का नायाब प्रयास है। जहां एक ओर समीक्षक डॉ. श्रीमती मंजूला श्रीवास्तव ने अपनी समीक्षा में पुस्तक की सकारात्मकता को सामने रखकर उसको और बेहतर करने का सुझाव दिया वहीं दूसरी ओर अन्य समीक्षक डॉ. मृणालिका ओझा ने भी पुस्तक के चित्रों व रोचकता को अपने शब्दों में व्यक्त कर उसकी लाईनों का वर्णन किया। लेखिका शीलू लुनिया ने "अगीरा की वर्णमाला" लिखने की पृष्ठभूमि व उसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कहा कि इस पुस्तक की प्रतियां गरीब बस्तियों में बच्चों को निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
छत्रपति शिवाजी स्कूल के संचालक मुकेश शाह ने लेखक परिचय दिया अतिथियों का पौधों से व स्मृति चिह्न प्रदान करके स्वागत व सम्मान किया सर्वश्री उमेदचंद गोलछा, रानूलाल लुनिया, देवानंद बरड़िया, शांतिलाल कोचर, मनीषा गुप्ता, हिमांशु लुनिया, तुषार लुनिया, आरती गोलछा आदि ने । कार्यक्रम का शानदार संचालन साहित्यकार श्रीमती मीना शर्मा तथा आभार प्रदर्शन रानूलाल लुनिया ने किया।
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