डीजे से 2 बुजुर्गों की मौत और इधर 6 करोड़ रुपए के ध्वनि मापक यंत्र धूल खाते पड़े हैं

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उच्च न्यायालय ने पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी  की जनहित याचिका पर सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी

रायपुर ( khabargali) आपको कुछ वर्षों से शहरों से लेकर गांव तक में देर रात तक कानफोडू डीजे बजते सुनाई दे जाएंगे । डीजे पर बजते अश्लील गानों और कानफोडू संगीत से जहां ह्रदय रोगियों के लिए कभी -कभी काल बन जाता है वहीं छोटे बच्चों के कान के पर्दों के फटने का भी भय बना रहता है।  जबकि प्रशासन का सख्त निर्देश है की निर्धारित ध्वनि से अधिक आवाज में डीजे न बजाए और रात्रि 10 बजे के बाद हर हाल में डीजे बन्द हो जाना चाहिए मगर डीजे संचालकों को कानून का कोई भय नही है और प्रशासन तो मानो कान में रुई लगाए बैठा है। 

महापौर प्रमोद दुबे ने बताया डीजे से 2 बुजुर्गों की मौत हुई है

हाल में हुए राजधानी के गणेश विसर्जन के दौरान डीजे से 2 बुजुर्गों की मौत के बात खुद महापौर प्रमोद दुबे ने मानी है उसके बाद भी शहर में हर तरफ गाड़ियों में डीजे बजते देखे जा सकते हैं। महापौर ने कहा कि भीड़ इतनी होती है कि यदि किसी को मेडिकल एमरजेंसी में अस्पताल ले जाना पड़े तो एंबुलेंस के आने का रास्ता नहीं होता। मुझ तक एक व्यक्ति के बीमार होने की शिकायत आई थी। हम मजबूर थे कुछ कर न सके। अपना घर जलते हुए देखने जैसी हालत थी हमारी। बैजनाथ पारा इलाके और सदर बाजार से अमीन पारा जाने वाली सड़क पर स्थित मकानों में लोगों की मौत हुई। मेरी आम लोगों से अपील है कि इन बातों के बारे में भी सोचें। 

छत्तीसगढ़ में ध्वनि प्रदूषण कानून का कोई मतलब नहीं रह गया है- उच्च न्यायालय   

इस मामले मे राज्य के जाने माने पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने नितिन सिंघवी की याचिका पर सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी। उच्च न्यायालय ने तब कहा था कि छत्तीसगढ़ में ध्वनि प्रदूषण कानून का कोई मतलब नहीं रह गया है। कोई भी कानून का पालन कराने के लिए तत्पर नजर नहीं आता। पालन कराने वाली एजेंसियां व अफसर बहरे हो गए हैं। कार्रवाई ना होने से कानून के उल्लंघन को बढ़ावा मिल रहा है परंतु कोर्ट को कानून का पालन कराना सुनिश्चित करना है। इतनी सख्त टिप्पणी के बाद भी सरकार और अफसरों ने 2016 के बाद से अब तक कोई बड़ी कार्रवाई ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले पर नहीं की। जबकि गाड़ियों में डीजे बजाने वालों के परमिट तक निरस्त करने तक के निर्देश है। यहां यह बताना आवश्यक है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार ने 6 करोड रुपए के 648 मीटर प्रत्येक जिले के लिए 24 मीटर खरीदे तो जरूर परंतु उनका उपयोग नहीं किया गया

गर्भस्थ पशुओं के लिए डीजे जानलेवा साबित

तेज आवाज में  म्यूजिक बजाने पर यह पशुओं के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। कानफोड़ू डीजे की ध्वनि से सवाई माधोपुर के एंडा व श्यामपुरा सहित आसपास के गांवों में 27 पशुओं का गर्भपात होने का मामला सामने आया है। यदि पूरे जिले में जांच पड़ताल की जाए तो गर्भपात का यह आंकड़ा बढ़ सकता है।  एक पशु चिकित्सक ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ता डीजे का कोलाहल पशुओं के लिए दिनों दिन अभिशाप बनता जा रहा है। गाय-भैंस व अन्य पशुओं के गर्भधारण के बाद बच्चे जन्म से पहले ही दम तोड़ रहे है। 

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अनुज जाउलकर का कहना है

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अनुज जाउलकर के अनुसार लाउड स्पीकर की ध्वनि 80 डेसीबल होनी चाहिए। 80 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि से कान की नस डेमेज होने की आशंका रहती है। इससे डेमेज होने से बहरापन रोग हो जाता है।

डी.जे. पर हाईकोर्ट के आदेश का पूर्ण विवरण (जनहित याचिका क्र. 112/2016 दिनांक 06.12.2016 नितिन सिंघवी विरूद्ध छत्तीसगढ़ स्टेट). 

क्या कहा था कोर्ट ने कानून का पालन कराने वालों के बारे में:-

माननीय उच्च न्यायालय ने विशेष रूप् से उल्लेखित किया था कि ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून का छत्तीसगढ़ में कोई मतलब नहीं रह गया है और कोई भी कानून का पालन करने के लिये तत्पर नहीं है, यहां तक कि कानून का पालन करवाने वाली एजेंसियां तथा अधिकारी ध्वनि प्रदूषण को लेकर बहरे हो गये है। दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही न होने से ध्वनि प्रदूषण करने को बढ़ावा मिल रहा है। अधिकारी बहरे हो सकते है परंतु कोर्ट को कानून का पालन करवाना सुनिश्चित करना है।

क्या दिया था आदेश:-

1.अवैध घोषित किया गाड़ियों में साउण्ड बाक्स रख कर डी.जे. बजाना, अधिकारियों पर सीधे होगी अवमानना की कार्यवाही:-

माननीय उच्च न्यायालय ने आदेशित किया था कि गाड़ियों में साउण्ड बाक्स लगा कर (डी.जे.) बजाना मोटर व्हीकल नियमों का उल्लंघन होता है। इसलिये कलेक्टर तथा एस.पी. सुनिश्चित करें कि कोई भी वाहन पर साउण्ड बाक्स न बजे। अगर कोई व्यावसायिक वाहन पर साउण्ड बाक्स मिलता है, तो साउण्ड बाक्स को हटाकर वाहन मालिक को नोटिस दिया जावेगा एवं ऐसे वाहनों को दिये गये नोटिस का रिकार्ड रखा जावेगा। द्वितीय बार गलती करते पकड़े जाने पर उस वाहन का परमिट निरस्त किया जावेगा तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश बिना उस वाहन को कोई भी नया परमिट जारी नहीं किया जावेगा।
माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि कानून का उल्लंघन पाये जाने पर संबंधित अधिकारी पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना कार्यवाही होगी।

2.स्कूल, कालेज, अस्पताल, कोर्ट, आफिस से 100 मीटर ऐरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर जप्त करें, द्वितीय बार पकड़ाने पर हाईकोर्ट के आदेश के बिना जप्ती वापस नहीं की जा सकेगी:-

माननीय उच्च न्यायालय ने आदेशित किया था कि स्कूल, कालेज, अस्पताल, कोर्ट, आफिस से 100 मीटर ऐरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर कलेक्टर, एस.पी., डी.एस.पी. या प्राधिकृत अधिकारी को ध्वनि विस्तार यंत्रों को जप्त करना होगा जिसको बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के वापस नहीं किया जावेगा। ध्वनि यंत्रों के मालिक द्वारा शपथ-पत्र प्रस्तुत करने पर   कवह आगे गलती नहीं करेगा ध्वनि यंत्रों के मालिक को वापस किया जा सकेगा। द्वितीय गलती पर जप्त किये गये यंत्रों को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश बिना वापस नहीं किया जावेगा।

3.शादियों, जन्मदिनों, धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों में तेजी से ध्वनि यंत्र बजाने वालों पर की जानी है माननीय उच्च न्यायालय के आदेश न मानने पर अवमानना की कार्यवाही, जप्त ध्वनि यंत्रों की वापसी हाईकोर्ट की अनुमति के प्श्चात् ही संभव:-

माननीय उच्च न्यायालय ने कहा था कि जब भी उपरोक्त कार्यक्रमों में निर्धारित मापदन्डों से अधिक ध्वनि विस्तार होने पर अधिकारी जावे तो वे लोगों की भावना की कद्र करने हुये नम्रता पूर्वक उन्हें माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहें, अगर आयोजक विरोध करता है तो उसके विरूद्ध कोर्ट में कार्यवाही की जावे तथा इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारी आयोजक के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायलय के दायर में करें। अगर आयोजक माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिये तैयार हो जाता है तो उसके ध्वनि यंत्र जप्त नहीं करे परंतु अगर आदेश नहीं माना जाता है तो ध्वनि यंत्रों को जप्त कर तब तक नहीं छोड़ा जावेगा जब तक कि माननीय उच्च न्यायालय से अनुमति नहीं ली जाती। परंतु अगर ध्वनि विस्तार यंत्र टेन्ट हाउस, साउण्ड सिस्टम प्रदायकत्र्ता या डी.जे. वाले का पाया जाता है तो उसे सीधे जप्त किया जावेगा।

4.प्रेशर हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न प्रतिबंधित, दोबारा गलती करने पर जप्त वाहन की वापसी हाईकोर्ट की अनुमति के बाद ही संभव:-

माननीय उच्च न्यायालय ने आदेशित किया था कि मुख्य रूप् से पब्लिक ट्रांसपोर्ट/व्यावसायिक वाहनों पर तेजी से बजने वाले हार्न बजाये जाते है अतः फिटनेस सर्टिफिकेट प्रदाय करते वक्त संबंधित अधिकारी सुनिश्चित करेगा कि उसमें तेजी से बजने वाले हार्न नहीं लगे हों।
अन्य अवसरों पर अगर प्रेशन हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न पाया जाता है तो संबंधित अधिकारी तत्काल ही उसे वाहन से निकालकर नष्ट करेगा तथा रजिस्टर में दर्ज करेगा। लोक प्राधिकारी इस संबंध में वाहन नंबर के साथ मालिक तथा चालक का डाटा बेस इस रूप् में रखेगा कि दोबारा अपराध करने पर वाहन जप्त किया जावे तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बिना ऐसे जप्त वाहनों को नहीं छोड़ा जा सकेगा।


 

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