" गुरुकुल कांगड़ी..."

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दीपा श्रीवास्तव की कोरोना काल के दौरान लिखी कहानी

ख़बरगली @ साहित्य डेस्क

आज घर का माहौल बेहद अजीब सा था। लोग उदास से थे मानों कोई मातम मातम का माहौल हो हो भी कैसे नहीं है दरअसल आज रमेश की नौकरी का आखरी दिन जो था इस कोरोना ने न जाने कितने लोगों के घर के चूल्हों को बंद करने की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया ।ऐसी महामारी जिसने हर किसी को घरों में बंद रखने के साथ-साथ लोगों के रोजी-रोटी को भी बंद कर दिया। मालिनी पति को सांत्वना देने के साथ अपनी किस्मत को भी कोस रही थी। रमेश अच्छी कंपनी में अच्छे पैकेज पर था। घर की ईएमआई, बच्चों की फीस मां बाप की जिम्मेदारी सब उसके कंधे पर थी। वहीं मालनी सिर्फ़ ग्रेजुएट थी और हाल ही में उसने अपना टिफिन सर्विस का काम शुरू किया था। लेकिन महामारी ने उसे चलने के पहले ही ताला लगा दिया। वो परेशान थी क्योंकि वह अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर उसका साथ नहीं दे पा रही थी। इन्हीं सब को सोचते-सोचते पति को सांत्वना देते देते अचानक से पुरानी यादों में खो गई।

अक्सर गुस्से में पापा गुरुकुल कांगड़ी भेजने के लिए धमकी दिया करते थे। मालिनी अपने भाई बहनों में सबसे छोटी और बहुत बदमाश थी। ऐसे में आए दिन उसकी शिकायतें आती रहती थीं। पिताजी अक्सर उसे कहते थे कि अगर तुमने अपनी शरारत पर लगाम नहीं लगाई , तो मैं तुम्हें गुरुकुल कांगड़ी पढ़ने भेज दूंगा। मालिनी के दोनों भाई गुरुकुल कांगड़ी में पढ़ रहे थे। दीदी और भाई को सिर्फ छुट्टी में ही आता देख मालनी डरती थी। उसे अपनी मां से घर से दूर नही जाना था। जब मालिनी की कॉलेज जाने की बारी आई तो उसने पास कॉलेज जाने का फैसला लिया। वहीं दीदी और भाई अच्छी नौकरी में लग चुके थे। मालिनी ने अपना मास्टर किया और फिर शादी हो गई। घर और बच्चे में उसने नौकरी के बारे में कभी कुछ सोचा नही। अब जब बच्चे बड़े हो रहे थे तो उसने अपना टिफिन सर्विस शुरू किया था। क्योंकि उसकी हाथों में कमाल का जादू था। लेकिन आज वो अपने गुरुकुल कांगड़ी न जाने के फैसले को कोस रही थी। आज उसे लग रहा था आज भविष्य कुछ और ही होता । अगर उसने पापा की बात मानी होती और घर के मोह में होती।

मालनी इन्ही खयालों में थी कि तभी चाय के लिए ससुर जी ने आवाज़ लगाई। जी बाबू जी, कहते ही मालिनी किचन में चली गई। मालिनी ने पति को सांत्वना दी और कहा हम मिलकर सब संभाल लेंगे। देखना जो हुआ है अच्छे के लिए हुआ है। उसी रात मालिनी ने व्हाटैप्स ग्रुप में अपने टिफिन सर्विस का टेम्पलेट डाला। उसके साथ ही उसने बाकी सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया। करीब एक सप्ताह बाद उसे एक दो ऑर्डर आने लगे। मालिनी ने लोगों का विश्वास जीतने के लिए कुकिंग का विडियो भी सोशल मिडिया पर डाला। अब तो मालिनी के पास अच्छे ऑर्डर थे। आने वाले छह महीने में मालिनी के घर की हालत बदल चुकी थी। रमेश फिर से नई जॉब में थे और मालिनी अपना क्लाउड किचन शुरू कर चुकी थी।