डॉक्टर सारिका सिंघानिया की कलम से एक रूमानी कहानी आप सब के लिए
ख़बरगली (साहित्य डेस्क)
उमड़ -घुमड घनीयारे बादल गरज रहे थे ,बैरी बिजुरी चमक- चमक अघा रही थी, रिमझिम बारिश की बौछार सूनी धरा के आंचल को तृप्त कर रही थी ।प्रेमील महोत्सव से हर्षित बयार के कदमों को भी पंख लग गए। अपने संग- संग लता के आंचल को भी वह उड़ा रही थी। लता अपना आंचल संभालती, सम्मोहित सी गुनगुनाने लगी, “पहला प्यार लाए जीवन में बाहर, पहला प्यार”। वह तो सुधीर के लिए गैस पर चढ़ाई चाय जब उबलने लगी, तो लता की तंद्रा भंग हुई। पर पच्चीस साल पुराने पहले प्यार की ताजगी अब उसकी रग -रग में उबाले मारने लगी।
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